Thursday, February 05, 2015

इंडिया आर्ट फेयर 2015: कला, कलाकार और कलाप्रेमियों के बीच संवाद स्थापित करने की कवायद

रविंद्र दास, कलाकार एवं कला समीक्षक
New Delhi, Feb 5, 2015
Photo courtesy: barnadas huang's post

















29 जनवरी से 1 फरवरी तक दिल्ली में आयोजित इंडिया आर्ट फेयर का सातवां संस्करण कश्मीर बाढ़ विभीषिका और आतंकियों के निशाने पर रहे मुंबई के वीटी स्टेशन की अनुकृति पर बने इंस्टालेशन से लेकर कामुक कला के तड़के तक की वजह से चर्चा में रहा। 85 गैलरियों में 11 सौ कलाकारों की करीब 3500 कलाकृतियों को समेटे इंडिया आर्ट फेयर को निश्चित तौर पर दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा आर्ट फेयर कहा जा सकता है जिसमें भारत समेत दुनिया भर की गैलरियों ने शिरकत की।

इंडिया आर्ट फेयर में इस बार भी बड़ी संख्या में विदेशी गैलरियों ने हिस्सा लिया, खासतौर पर दक्षिण एशियाई देशों ने। इस बार आयोजकों ने पूरी कोशिश की थी कि दक्षिण एशिया के लगभग सभी देश आर्ट फेयर के सातवें संस्करण का हिस्सा बनें, विशेषकर पाकिस्तान, नेपाल और श्रीलंका। इनके अलावा हांगकांग, फ्रांस, पुर्तगाल, स्पेन और अमेरिका तक की गैलरियों की भागेदारी देखने को मिली। आयोजक यस बैंक और बीएमडब्ल्यू जैसे कई बड़े कॉरपोरेट ग्रुप्स को भी आर्ट फेयर का हिस्सा बनाने में सफल रहे, जिसकी कोशिश वो लगातार कर भी रहे थे।

आयोजन के पूर्व इंडिया आर्ट फेयर की संस्थापक और निदेशक नेहा कृपाल ने दावा किया था कि उनकी टीम सातवें संस्करण को पहले से अधिक रंगबिरंगा, कलात्मक, ग्लैमरस और चकाचौंध से भरपूर बनाने की कोशिश करेगी जिसमें वो काफी हद तक सफल रही। नेहा और उनकी टीम की कोशिश यह भी रही है कि कला का बाजार सिर्फ उच्च वर्ग तक ही सीमित नहीं रहे, बल्कि मध्यवर्ग तक पहुंचे और उनमें आधुनिक कला के प्रति रूचि भी बढ़े।

यही वजह है कि इस बार बड़े नामों और ऊंची कीमत वाली कलाकृतियों के मुकाबले उस रेंज की कलाकृतियों को ज्यादा तरजीह दी गयी थी वो मध्यमवर्ग की पहुंच में हो। वैसे आप दस करोड़ रुपये तक की कलाकृति को आर्ट फेयर से खरीद सकते थे। आयोजकों ने इस बात का पूरा ध्यान रखा कि अच्छी और कलात्मक कृतियों को पर्याप्त जगह मिल सके।

इंडिया आर्ट फेयर इस मायने खास रहा कि यहां पहली बार भारत में आधुनिक कला के विकास को क्रमवार दर्शाया गया था और इसका श्रेय दिल्ली आर्ट गैलरी को जाता है। चारो दिन कला प्रेमी दिल्ली आर्ट गैलरी के वृहदाकार बूथ में आधुनिक कला के इतिहास को कलाकृतियों, मूर्तिशिल्पों, चित्रों, विडियो और स्लाइड-शो के माध्यम से देखते और समझते रहे। यह पहला मौका था जब किसी गैलरी ने सभी शैलियों की कलाकृतियां एक साथ प्रदर्शित की थी। इसमें कामुक कला का खंड खासतौर पर चर्चा में रहा।

संभवत: यह भी पहला मौका था जब एम.एफ हुसैन को आर्ट फेयर में ज्यादा जगह दी गयी थी। इससे पहले आयोजक हुसैन को आर्ट फेयर में बड़ा स्पेस देने से कतराते दिखे हैं। हुसैन की कलाकृतियों की तरह ही पहली बार बीजेपी नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी गांधी के साथ कैनवस पर स्थान दिया गया था।

दिल्ली और बेंगलुरु स्थित आर्ट गैलरी स्काई के बूथ में भारती खेर की कलाकृति "मदर एंड चाइल्ड" ने कलाप्रेमियों को चौंकाया, जो तीन आकृतियों को जोड़कर बनायी गयी थी। एक दूसरी कलाकृति जिसने दर्शकों का ध्यान सबसे ज्यादा खींचा, उसे सिद्धार्थ ने गढ़ा था जिसमें गंगा नदी को खनिज रंगों और चांदी के वर्क के माध्यम से बनाया गया था। गैलरी कैमोल्ड प्रेस्कॉट के बूथ में अनंत जोशी की शानदार श्रृंखला नया साल मुबारक हो, ने भी चौंकाया, जबकि दिल्ली की गैलरी एस्पास में नीलिमा शेख की नयी कलाकृतियों को प्रदर्शित किया गया था।

कोलकाता की गैलरी आकार-प्रकार के बूथ में कलाप्रेमी गणेश हलोई की कलाकृतियों को निहारते दिखे और उन्होंने एल.एन. ताल्लुर की कलाकृति अशुभ बेल को भी जमकर सराहा। दिल्ली की बडेरा गैलरी के बूथ में जल रंगों से बनी एस.एन सुजीत की छोटी-छोटी कलाकृतियों ने कलाप्रेमियों को मोहा। अंतर्राष्ट्रीय कला बाजार में समकालीन कला के नए तेवरों और प्रयोगों को बढ़ावा देने के लिए चर्चित गैलरी नेचर मोर्टे ने सुबोध गुप्ता की कलाकृति ग्रेजड़ टेफ़लोन आकाशगंगा को कलाप्रेमियों के सामने रखा था।

भारत में फोटोग्राफी के लिए समर्पित एकमात्र गैलरी फोटोइंक ने चंदन गोम्स, केतकी सेठ, श्रीनाथ ईस्वरन, कलाकार जोड़ी मधुबन मित्रा और मानस भट्टाचार्य की फोटोग्राफी का जादू कलाप्रेमियों के सामने बिखेर कर रख दिया। आश्चर्यजनक की बात यह थी न्यूयॉर्क की गैलरी थॉमस एर्बेन ने भी भारतीय फोटोग्राफी के चर्चित नामों पाब्लो बार्थोलोम्यू और गौरी गिल के साथ यामिनी नायर के छायाचित्रों को भी प्रदर्शित किया, जिसे देखना अदभुत अनुभव है।

इंडिया आर्ट फेयर के सातवें संस्करण में बाजार, कला, कलाकृति और कलाप्रेमियों के बीच संवाद बढ़ाने पर जोर दिया गया था और फेयर के कलात्मक निदेशक गिरीश शहाणे ने इसमें कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। चित्रा गणेश और ध्रुवी आचार्य से लेकर प्रियंका चौधरी तक के लाइव परफॉमेंस तक कला और कलाप्रेमियों के बीच संवाद स्थापित करने की कोशिश की गयी थी। ऐसे में डाक्युमेंटा के कलात्मक निदेशक एडम स्यामजाक के विचारोत्तेजक सत्र एवं किरण नाडार के संग्रह संबंधी विचारों को सुनना काफी सुखद था।

No comments:

Post a Comment